मुस्कान

भंवरे को फूल से मिलते देखा है,

नदियों को सागर से मिलते देखा है,

चंदा को सूरज से मिलते देखा है

धरती को अंबर से मिलते देखा है

देखा है अनजानों को अपनों मिलते हुए

फिर भी जाने क्यों……

तुम्हारी मुस्कान तुम्हारी आंखों से नहीं मिलती….

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